Cbse Class 8 Ncert Hindi Textbook Solutions - Vasant Bhag 3 (वसंत भाग ३) - भगवान के डाकिए
CBSE Class VIII, Hindi Basant Bhag 3 NCERT Answers
भगवान के डाकिए (Bhagwan ke Dakiye)
प्रश्न - अभ्यास
प्रश्न .१ : कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया हैं ? स्पष्ट कीजिये। (NCERT Solutions for Hindi Textbook Exercise Questions)
उत्तर : जिस प्रकार डाकिए संदेश लाने का काम करते हैं, उसी प्रकार पक्षी और बादल भगवान का संदेश हम तक
पहुँचाते हैं। उनके लाये संदेश को हम भले ही न समझ पाए, पर पेड़, पौधे,
पानी और पहाड़ उसे भली प्रकार पढ़-समझ लेतें हैं। यहीं कारण है की कवि ने
पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए बताया है।
प्रश्न .२ : पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन - कौन पढ़ पाते हैं ? सोच कर लिखिए।
उत्तर : पक्षी और बादल द्वारा लायी गई चिट्ठियों को पेड़ - पौधे, पानी और पाहड़ पढ़ पाते हैं। प्रकृति के ये विविध उपादान पक्षी और बादल से प्रभावित होते हैं। इन्हें उनकी भाषा भली प्रकार समझ में आ जाती हैं।
प्रश्न .२ : पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन - कौन पढ़ पाते हैं ? सोच कर लिखिए।
उत्तर : पक्षी और बादल द्वारा लायी गई चिट्ठियों को पेड़ - पौधे, पानी और पाहड़ पढ़ पाते हैं। प्रकृति के ये विविध उपादान पक्षी और बादल से प्रभावित होते हैं। इन्हें उनकी भाषा भली प्रकार समझ में आ जाती हैं।
प्रश्न . ३ : किन पंक्तियों का भाव है :
(क) पक्षी और बादल प्रेम , सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते हैं।
उत्तर : पक्षी और बादल एक-दूसरे देश में जा-जाकर वहां प्रेम, सद्भाव और एकता की भावना का प्रसार करते हैं।
(ख) प्रकृति देश-देश में भेद भाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है।
उत्तर : प्रकृति किसी भी देश से पक्षपात नहीं करती। एक देश में जब भाप उठकर बादल का रूप ले लेती है तब वह दूसरे देश में जाकर वर्षा रूप में बरस जाती है।
प्रश्न . ४ : पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पाहार क्या पड़ पाते हैं ?
उत्तर : कवि का कहना है की पक्षी और बादल भगवान के डाकिये हैं। जिस प्रकार डाकिये संदेश लाने का काम करते हैं, उसी प्रकार पक्षी और बादल भगवान का संदेश लाने का काम करते हैं। पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ भगवान के भेजे संदेश को पढ़ पाते हैं।
प्रश्न . ५ : 'एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है' - कथन का भाव स्पस्ट कीजिए।
उत्तर : पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते रहते हैं। ऐसा लगता है की हवा में उड़ते हुए पक्षियों के पंखों पर प्रेम-प्यार की सुगंध तैरकर दूसरे देश तक पहुँच जाती है। इस प्रकार एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
उत्तर : पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को हम प्रेम, सौहार्द और आपसी सद्भाव की दृष्टि से देख सकते हैं।
प्रश्न .२ : आज विश्व में कहीं भी संवाद भेजने और पाने का एक बड़ा साधन इन्टरनेट है। पक्षी और बादल की चिट्ठियों की तुलना इन्टरनेट से करते हुए दस पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर : पक्षी और बादल की चिट्ठियों की तुलना इन्टरनेट से इस प्रकार की जाती है:-
उत्तर : हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका अत्यन्त महत्तपूर्ण है। खाकी पैंट और खाकी कमीज़ पहने, कंधे पर खाकी झोला लटकाए जब वह सामने से गुजरता, तो उसकी ओर सबकी दृष्टि अनायास खिंच जाती है। भले ही अब कंप्यूटर और इ-मेल का ज़माना आ गया है पर, डाकिया का महत्व अभी भी उतना ही बना हुआ है जितना पहले था। डाकिया ग्रामीण जन-जीवन का एक सम्मानित सदस्व माना जाता है। डाकिया केवल संदेश-दाता नहीं, अर्थ दाता भी है। डाकिया का कार्य बड़ा कठिन होता है। वह सुबह से शाम तक चलता ही रहता है। डाकिया कम वेतन पाकर भी अपना काम अत्यन्त परिश्रम और लगन के साथ सम्प्पन्न करता है। गर्मी, जाड़ा और बरसात का सामना करते हुए वह समाज की सेवा करता है। डाकिया एक सुपरिचित व्यक्ति है। उससे हमारा व्यक्तिगत संपर्क होता है। हमें उसपर सहानुभूति दिखानी चाहिए।
(क) पक्षी और बादल प्रेम , सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते हैं।
उत्तर : पक्षी और बादल एक-दूसरे देश में जा-जाकर वहां प्रेम, सद्भाव और एकता की भावना का प्रसार करते हैं।
(ख) प्रकृति देश-देश में भेद भाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है।
उत्तर : प्रकृति किसी भी देश से पक्षपात नहीं करती। एक देश में जब भाप उठकर बादल का रूप ले लेती है तब वह दूसरे देश में जाकर वर्षा रूप में बरस जाती है।
प्रश्न . ४ : पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पाहार क्या पड़ पाते हैं ?
उत्तर : कवि का कहना है की पक्षी और बादल भगवान के डाकिये हैं। जिस प्रकार डाकिये संदेश लाने का काम करते हैं, उसी प्रकार पक्षी और बादल भगवान का संदेश लाने का काम करते हैं। पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ भगवान के भेजे संदेश को पढ़ पाते हैं।
प्रश्न . ५ : 'एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है' - कथन का भाव स्पस्ट कीजिए।
उत्तर : पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते रहते हैं। ऐसा लगता है की हवा में उड़ते हुए पक्षियों के पंखों पर प्रेम-प्यार की सुगंध तैरकर दूसरे देश तक पहुँच जाती है। इस प्रकार एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
पाठ से आगे
प्रश्न . १ : पक्षियों और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को आप किस दृष्टि से देख सकते हैं?
प्रश्न .२ : आज विश्व में कहीं भी संवाद भेजने और पाने का एक बड़ा साधन इन्टरनेट है। पक्षी और बादल की चिट्ठियों की तुलना इन्टरनेट से करते हुए दस पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर : पक्षी और बादल की चिट्ठियों की तुलना इन्टरनेट से इस प्रकार की जाती है:-
- पक्षी और बादल भगवान के डाकिये हैं किंतु, इन्टरनेट नहीं।
- पक्षी और बादल प्रकृति के अनुसार काम करते हैं किंतु, इन्टरनेट मानव के अनुसार काम करते है।
- पक्षी और बादल का कार्य धीमी गति से होता है किंतु, इन्टरनेट का कार्य तीव्र गति से होता है।
- पक्षी और बादल की भूमिका पर्यबरण को स्वच्छ एवं सुंदर बनने की होती है किंतु, इन्टरनेट पर्यबरण को स्वच्छता प्रदान नहीं करता।
- पक्षी और बादल की भूमिका प्रकृति-प्रेमी को प्रभावित करती है किंतु, इन्टरनेट विज्ञानं प्रेमी को प्रभावित करती है।
उत्तर : हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका अत्यन्त महत्तपूर्ण है। खाकी पैंट और खाकी कमीज़ पहने, कंधे पर खाकी झोला लटकाए जब वह सामने से गुजरता, तो उसकी ओर सबकी दृष्टि अनायास खिंच जाती है। भले ही अब कंप्यूटर और इ-मेल का ज़माना आ गया है पर, डाकिया का महत्व अभी भी उतना ही बना हुआ है जितना पहले था। डाकिया ग्रामीण जन-जीवन का एक सम्मानित सदस्व माना जाता है। डाकिया केवल संदेश-दाता नहीं, अर्थ दाता भी है। डाकिया का कार्य बड़ा कठिन होता है। वह सुबह से शाम तक चलता ही रहता है। डाकिया कम वेतन पाकर भी अपना काम अत्यन्त परिश्रम और लगन के साथ सम्प्पन्न करता है। गर्मी, जाड़ा और बरसात का सामना करते हुए वह समाज की सेवा करता है। डाकिया एक सुपरिचित व्यक्ति है। उससे हमारा व्यक्तिगत संपर्क होता है। हमें उसपर सहानुभूति दिखानी चाहिए।
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